दिल की अनियमित धड़कन
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MEDICAL ANIMATION TRANSCRIPT: एट्रियल फिब्रिलेशन यानी की आलिंद विकंपन एरिथमिया एक अतलता का प्रकार है जो आपके हृदय की धड़कन की गति या बल्कि असामान्यता है। यदि आपको एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या है तो आपके हृदय के ऊपरी दोनों चेंबर यानी की कक्ष तेज कंपन के साथ संकुचित होते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप अनियमित और असमन्वित ह्रदय की धड़कन होती है। आपका हृदय एक मांसपेशियों से बना अंग है जो की चार कोषों का बना है दायां और बायां एट्रीयम यानी कि आलिंद और दायां और बायां वेंट्रिकल यानी की निलय। सामान्य हृदय की धड़कन के दौरान आपके हृदय के कक्ष आपके पूरे शरीर को लगातार रक्त पहुंचाने के लिए लयबद्ध तरीके से संकुचित होते हैं और आराम करते हैं। दायां एट्रीयम आपके शरीर से रक्त इकट्ठा करता है और दायां वेंट्रिकल उसे फेफड़ों में पंप करता है। जहाँ वो रक्त में ऑक्सीजन मिलाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को निकालता है। इसी समय बायां एट्रीयम फेफड़ों से रक्त प्राप्त करता है और बायां वेंट्रिकल शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषण प्रदान करने के लिए उस रक्त को हृदय से बाहर शरीर में पंप करता है। हृदय की हर धड़कन, हृदय के प्राकृतिक पेसमेकर जिसे साइनोएट्रीयल यानी की एसए नोड कहा जाता है, जो बाएँ एट्रीयम की दीवार में स्थित होता है, उसमें से शुरू होता है। यहाँ से एक विद्युतीय संकेत शुरू होता है जो कि दोनों को एट्रीयम में फैलता है और उस कारण वे संकुचित होते हैं और रक्त को वेंट्रिकल में धकेलते हैं। जब एट्रीयम आराम करते हैं ये विद्युतीय संकेत एट्रीयोवेंट्रिकुलर यानी कि एवी नोड में से गुजरकर वेंट्रिकल की दीवारों में जाते हैं, जिसके कारण वे संकुचित होते हैं। तब वेंट्रिकल आराम करते हैं और फिर एक पूरी धड़कन पूरी होती है। तुरंत ही एसए नोड एक नया विद्युतीय संकेत उत्पन्न करता है और इस पूरे चक्र को दोहराया जाता है। एट्रियल फिब्रिलेशन में ये विद्युतीय संकेत एट्रीयम में असामान्य स्थानों में और फुफ्फुसीय नसों के नजदीक उत्पन्न होते हैं। यह असामान्य संकेत आपके एट्रीयम में अव्यवस्थित ढंग से फैलते हैं, जिसके कारण उनका संकुचन तेजी से कंपन और झटकों के साथ घोटाले वाली हालत में होता है। यह संकेत सीधे एवी नोड पर आ धमकते सकते हैं जिससे वेंट्रिकल का संकुचन तेजी से होने लगता है। तेज गति होने के बावजूद वेंट्रिकल के संकुचन एट्रियम के त्वरित संकुचन के साथ ताल नहीं मिला सकते जिसके परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन असंतुलित होती है। इन अनियमित संकुचनों के बाद हो सकता है ह्रदय के कक्ष पूरी तरह से खाली ना हो। जब एट्रियम में रक्त इकट्ठा होने लगे तो उसमें से थक्के बन सकते हैं। इसमें से कोई धक्का आपके हृदय में से निकलकर आपके गार्डन के माध्यम से गुजरकर मस्तिष्क में जा सकता है। जहाँ उसके कारण स्ट्रोक आ सकता है। आपके वेंट्रिकल में रक्त इकट्ठा होने की वजह से आपके शरीर के ऊतकों को आवश्यक ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता है। यदि आपका हृदय निरंतर रूप से आपके शरीर की आवश्यकताओं के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में रक्त पंप करने में असक्षम हो तो आपका हार्ट फेल्यर यानी कि हृदय की विफलता की तकलीफ हो सकती है। आपके डॉक्टर आपके एट्रियल फिब्रिलेशन यानी की आलिंद विकंपन का इलाज एंटी- एरिथमिक दवाइयां देकर कर सकते हैं। एंटी-एरिथमिक दवाइयां आपके एट्रीयम को भेजे गए विद्युतीय संकेतों को नियंत्रित करती है जो आपके हृदय को नियमित ताल में धड़कने में मदद करता है। उपचार के बाद आपका हृदय अभी भी बहुत तेज़ी से धड़क रहा हो सकता है। इन परिस्थितियों में आपके डॉक्टर आपके हृदय की धड़कनों की गति को कम करके सामान्य करने के लिए आपको बीटा ब्लॉकर्स के नाम की दवा दे सकते हैं। इसके अलावा, आपके डॉक्टर आपके हृदय के ताल और उसकी गति को पुनःस्थापित करने के लिए कुछ प्रक्रिया कराने की सलाह दे सकते हैं, जैसे कि कार्डियोवर्ज़न, एब्लेशन या पेसमेकर डालना। विद्युतीय कार्डियोवर्ज़न में आपके डॉक्टर हृदय के सामान्य ताल को शुरू करने के लिए आपके हृदय को विद्युतीय शॉक यानी की बिजली का झटका देते हैं। एब्लेशन के दौरान आपके डॉक्टर रेडियो तरंगों की ऊर्जा का उपयोग करते हुए हृदय की जो ऊतक असामान्य विद्युतीय संकेतों का उत्पादन करते हैं, उन्हें नष्ट करते हैं। पेसमेकर डालने में आपके सर्जन आपके हृदय के पास वाली त्वचा के नीचे एक छोटा सा उपकरण रखते हैं, जो आपके हृदय की ताल को नियंत्रित करता है।
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