आर्थोस्कोपिक एंकल फ्यूजन
ID: ANH15152hin
MEDICAL ANIMATION TRANSCRIPT: आर्थ्रोस्कोपिक एंकल फ्यूज़न। आर्थ्रोस्कोपिक एंकल फ्यूज़न यानी टखने से संबंधित ऑपरेशन एक मिनीमली इन्वर्सिव सर्जिकल प्रक्रिया है जो टखने की हड्डियों को एक दूसरे के साथ फ़्यूज़ करता है यानी की जोड़ता है। एंकल यानी टखना वो जोड़ है जो पैर और पांव को जोड़ता है। एंकल जॉइंट यानी टखने का जोड़ जिसमें पैर के नीचे के हिस्से की दो हड्डियाँ, जिन्हें टीबिया और फिबुला कहा जाता है। और एंकल बोन यानी टखने की हड्डी जिसे टैलस कहा जाता है। ऐसी तीन हड्डियाँ शामिल होती हैं। टीबिया और फिबुला के सिरे एक साथ मिलकर टैलस के लिए एक मोर्टिस या एक स्लॉट यानी नाली बनाते हैं। जो कि एंकल जॉइंट यानी टखने का जोड़, जिसका नीचे का हिस्सा बनाता है। लिगामेंट्स यानी अस्थिबंधन और टेंडन यानी कंडरा नामक ऊतक एंकल बोन्स यानी टखने की हड्डियों को सहारा यानी की आधार देते हैं। लिगामेंट्स यानी अस्थिबंधन हड्डियों को हड्डियों से जोड़ते हैं और टेंडन मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं। एंकल जॉइंट यानी टखने का जोड़ पैर को ऊपर और नीचे ले जाने में मदद करता है। हड्डी के किनारे पर आर्टिकुलर कार्टिलेज यानी उपास्थि एक सरल, चिकना आवरण है, जो जोड़ को आसानी से हलचल करने में मदद करता है। एंकल फ्यूज़न यानी टखने का संलयन। जिसे आर्थ्रोडेसिस भी कहा जाता है वो एक सर्जिकल प्रक्रिया यानी ऑपरेशन यानी शल्य प्रक्रिया है जो एंकल बोन्स यानी टखने की हड्डियों को आपस में जोड़ देती है ताकि वे हिल न सकें और एक दूसरे के खिलाफ़ घिसे नहीं। डॉक्टर्स उन चिकित्सकीय स्थितियों के लिए इस प्रकार की सलाह दे सकते हैं जिनसे एंकल जॉइन्ट यानी टखने के जोड़ को गंभीर नुकसान और दर्द होता है। सबसे आम स्थिति ऑस्टिओऑर्थराइटिस यानी अस्थिसंधिशोथ है, जिसे डिजेनरेटिव जॉइन्ट्स डिज़ीज़ के रूप में भी जाना जाता है। ऑस्टिओऑर्थराइटिस के अंतिम चरणों में हड्डियों के सिरों को कवर करने वाले कार्टिलेज यानी उपास्थि घिस गए होते हैं, जिससे हड्डी पूरी तरह से उजागर हो गई होती है। ये और इसके साथ ही साथ बोनी प्रोजेक्शन यानी हड्डी में उपजा हुआ हिस्सा, जिन्हें बोन स्पर्स यानी हड्डी के किनारे पर विकसित नुकीली और टेढ़ी-मेढ़ी वृद्धि के रूप में जाना जाता है। उनके कारण जोड़ों की सूजन आती है, दर्द होते हैं और जोड़ों की हलचल सीमित हो जाती है। एक अन्य चिकित्सकीय स्थिति जिसमें एंकल फ्यूज़न यानी टखने के संलयन की आवश्यकता हो सकती है। वो है रूमेटाइड आर्थराइटिस, जिसमें मरीज की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली उसके शरीर के जोड़ों पर हमला करती है। ऐसी कोई भी स्थिति जो जोड़ की सतह को नष्ट कर देती है। जैसे की हड्डी में हुआ एक गंभीर संक्रमण या हड्डी के ऊतक की मृत्यु, जो कि ओस्टियोनेक्रोसिस के रूप में जाना जाता है। उसके लिए भी एंकल फ्यूज़न यानी टखने का संलयन की आवश्यकता हो सकती है। प्रक्रिया शुरू करने के लिए सर्जन पट्टियों के द्वारा पांव को नीचे की तरफ पकड़कर रखेंगे ताकि वे जोड़ के स्थान के अंदर बेहतर तरीके से देखने में सक्षम हो सकें। उसके बाद एंकल यानि टखना पर दो छोटे की-होल चीरे बनाए जाएंगे। कैन्यूलॉ के नाम से जाने जाने वाली एक छोटी ट्यूब उसके अंदर एक कैमरा के साथ एंकल यानी टखना पर किए गए दो चीरों में से एक चीरे के माध्यम से अंदर डाला जाएगा। दूसरे चीरे में से सर्जिकल उपकरणों को अंदर डाला जाएगा। सर्जन टीबिया की निचली सतह से कार्टिलेज यानी उपास्थि और क्षतिग्रस्त हड्डी को निकालने के लिए सर्जिकल उपकरणों का उपयोग करेंगे। यही समान प्रक्रिया टैलस की ऊपरी सतह पर भी की जाएगी। इसके बाद सर्जन आर्थ्रोस्कोपिक उपकरणों और पांव की पट्टियों को निकाल देंगे। उसके बाद एंकल जॉइंट यानी टखने का जोड़, जिसकी हड्डियों से दो या तीन धातु की गाइड पिनों को लगाया जायेगा। सर्जन इन गाइड पिनों का उपयोग खोखले स्क्रू, जो कि हड्डियों को अपनी जगह पर पकड़ कर रखते हैं उन्हें रखने के लिए करेंगे। आखिरकार ऑपरेशन के लिए किए गए चीरे को टांके लेकर बंद कर दिया जाएगा। एंकल फ्यूज़न यानी टखने का संलयन के बाद मरीज कभी भी अपने एंकल जॉइंट यानी टखने के जोड़ को हिला नहीं सकेगा। हालांकि यह फ्यूजन यानी संलयन की प्रक्रिया आर्थराइटिस यानी गठिया सतहों को एक दूसरे के साथ और पांव के अन्य जोड़ों के साथ घिसने के कारण होने वाले दर्द को समाप्त करती है ताकि पांव की सीमित हलचल संभव हो सके।
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