अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान
ID: ANH14122hin
MEDICAL ANIMATION TRANSCRIPT: इंट्रा यूटेराइन इन्सेमिनेशन, यानी की अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान, जो की आर्टिफिशल इन्सेमिनेशन, यानी की कृत्रिम गर्भाधान के रूप में भी जाना जाता है। यह एक महिला को गर्भवती होने में मदद करने के लिए एक प्रक्रिया है। महिला की प्रजनन प्रणाली में वजाइना, यानी की योनि, सर्विक्स, यानी की गर्भाशय ग्रीवा, यूटेरस, यानी की गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूबस, यानि की अंडवाहिनी और ओवरीज़ यानि की अंडाशय शामिल है। हर महीने के मासिक चक्र के दौरान, कोई भी एक अंडाशय में से एक अंडा अलग होता है, जिसे ओव्यूलेशन की प्रक्रिया कहा जाता है ओव्यूलेशन के बाद, अंडा अंडवाहिनी में दाखिल होता है। यदि एक महिला अपने ओव्यूलेशन के ठीक पहले, या उसके दौरान, या उसके ठीक बाद के दिनों में सम्भोग करती है, तो उसके गर्भवती होने की संभावनाएं सबसे अधिक है। इस समय के दौरान, पुरुष का प्रजनन द्रव, जिसे वीर्य कहा जाता है, उसका शुक्राणु जब अंडा, अंडवाहिनी से गुज़रता है तब उसे निषेचित कर सकता है। यदि एक महिला को गर्भवती होने में कोई समस्या होती है जिस स्थिति को बांझपन कहा जाता है। या जब कोई महिला बिना किसी पुरुष के बच्चा चाहती है, तो इंट्रा यूटेराइन इन्सेमिनेशन यानि की अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान, किया जा सकता है। इंट्रा यूटेराइन इन्सेमिनेशन से पहले, एक महिला को प्रजनन के लिए दवाइयाँ, यानि की अंत्रवृद्धि दवाओं दी जाती है, जिससे ओव्यूलेशन के समय वह एक से ज़्यादा अंडे छोड़े। स्पर्म वाशिंग नाम की प्रक्रिया में पुरुष के शुक्राणु को उसके तरल वीर्य से अलग किया जाएगा। यह प्रक्रिया शुक्राणु पर केंद्रित करती है, उससे मलबे को हटा देती है, और उन हॉर्मोन्स को निकालती है जिससे गर्भाशय सिकुड़ सकता है। यदि पुरुष साथी पूरी तरह से बांझ है, जिसे स्टेराइल भी कहा जाता है या अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष नहीं है। तो इस प्रक्रिया के लिए पूर्व के धोये हुए और जमे हुए दाता के शुक्राणु का इस्तेमाल किया जाएगा। डॉक्टर ओव्यूलेशन के लिए, अंडाशय की निरक्षण करेंगे इंट्रा यूटेराइन इन्सेमिनेशन की प्रक्रिया महिला के ओव्यूलेशन के ठीक पहले या उसके ठीक बाद की जाती है। ताकि निषेचन के लिए अंडा उपलब्ध हो। इस प्रक्रिया के दौरान, महिला को जांच करने के लिए मेज़ पर लेटाया जाएगा। स्पेकुलम, यानी की वीक्षक नामक उपकरण को महिला की योनि में डाला जाएगा, जिससे डॉक्टर उसके सर्विक्स, यानि की गर्भाशय ग्रीवा को देख सके। एक सिरिंज में धोये हुए शुक्राणु वाले तरल को थोड़ी मात्रा में भरा जाएगा फिर इस सिरिंज को कैथिटर नाम के एक लम्बे, पतले ट्यूब के साथ जोड़ा जाएगा। डॉक्टर इस कैथिटर को आपकी योनि में अंदर डालेंगे, कैथिटर के शीर्ष के हिस्से को, मार्गदर्शित करके सर्विक्स के मुख में से पारित करके गर्भाशय में ले जाया जाएगा।, एक बार वो गर्भाशय के भीतर पहुंच जाए, उसके बाद डॉक्टर शुक्राणुओं को अंदर रखेंगे। उसके बाद कैथिटर और स्पेकुलम को निकाल दिया जाएगा। महिला लगभग दस मिनट तक उसकी पीठ के बल लेटी रह सकती है।
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